Mahant Balaknath Yogi Biography : महंत बालकनाथ योगी के राजस्थान का मंत्री बनते ही लोगों में चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर महंत बालकनाथ योगी कौन हैं , इनकी जाति क्या है ? इनकी शिक्षा कहाँ तक हुई है ? इनके माता -पिता कौन हैं ? महंत बालकनाथ का महंत बनने से लेकर मंत्री तक सफ़र कैसा रहा ? इस आर्टिकल में हम आपकी सब उत्सुकताओं का जवाब देंगे।
Mahant Balaknath Yogi Biography in Hindi
राजस्थान के नवनिर्वाचित मंत्री महंत बालकनाथ ने साढ़े 6 साल की उम्र में संन्यास ले लिया था और वे अपना घर छोडकऱ आश्रम चले गए। महंत बालकनाथ का जन्म राजस्थान प्रदेश के अलवर जिले के बहरोड़ तहसील के कोहराना गांव में 16 अप्रैल 1984 को किसान परिवार में हुआ था।
इनकी माता जी का नाम उर्मिला देवी व पिता जी का नाम सुभाष यादव था। इनके दादाजी का नाम फूलचंद यादव व दादी का नाम संतरो देवी है।
आपको बता दें कि महंंत बालकनाथ के दोनों चाचा डॉक्टर हैं। महंंत बालकनाथ का परिवार शुरू से ही धार्मिक प्रवृति का रहा है। इनके पिता सुभाष यादव नीमराना के बाबा खेतानाथ आश्रम में ब्रह्मलीन पूज्य बाबा खेतानाथ की सेवा करते थे। महंत बालकनाथ योगी का नामकरण भी इनके पिता जी ने बाबा खेतानाथ से ही करवाया था।
इनका जन्म गुरुवार को होने के कारण बचपन में उनका नाम बाबा खेतानाथ ने गुरुमुख रखा। कहा जाता है कि बालक गुरूमुख के पिता सुभाष यादव ने उसके जन्म से पूर्व ही उसको जनकल्याण के लिए व आस्था के चलते संत बनने के लिए और गुरुओं की सेवा के लिए बाबा खेतानाथ को उसे अर्पित करने की सेवा आश्रम में बोल दी थी।
खास बात यह है कि बाबा खेतानाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद गद्दी पर बैठे महंत सोमनाथ को गुरुमुख के परिवार वालों ने साढ़े छ: वर्ष की उम्र में ही गुरुमुख को सौंप दिया था। वह गुरूमुख 1985-1991 तक (6 वर्ष की आयु तक) मत्स्येंद्र महाराज आश्रम में रहे, उसके बाद वह महंत चांदनाथ के साथ हनुमानगढ़ जिले के नाथावली थेरी गांव में एक मठ में चले गए .महंत सोमनाथ ने शिक्षा दीक्षा के लिए बालक गुरूमुख को छ: महीने बाद ही अस्थल बोहर रोहतक में अलवर के पूर्व सांसद महंत चांदनाथ योगी के पास भेज दिया ।
वहां पर गुरुमुख की बच्चों जैसी चंचलता देख कर उसे बालकनाथ नाम से पुकारा जाने लगा। बालकनाथ ने कठिन तपस्या , साधना की व मठ की सेवा करते हुए और नाथ सम्प्रदाय की परंपराओं को सीखते हुए गुरु के आदेश अनुसार कार्य किये और देश भर में विभिन्न आश्रमों में सेवा का दायित्व निभाया।
महंत बालकनाथ योगी के गुरु ब्रह्मलीन महंत चांदनाथ योगी भी बहरोड़ से विधायक रहे और सांसद रहे हैं। बाद में 17 सितंबर 2017 को महन्त चांदनाथ योगी का लंबी बीमारी के चलते स्वर्गवास हो गया था।
किस मठ के उत्तराधिकारी बने महंत बालक नाथ योगी
आपको बता दें कि हरियाणा के रोहतक जिला में स्थित बाबा मस्तनाथ योगी मठ अस्थल बोहर का महंत बालक नाथ को उत्तराधिकारी भी बनाया गया। यह मठ नाथ सम्प्रदाय के सबसे बड़े मठों में से एक है। ब्रह्मलीन महंत चांदनाथ योगी , यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ व योगगुरु बाबा रामदेव और देश भर के प्रमुख संतो की उपस्थिति में गुरूमुख महंत बालकनाथ योगी को अस्थल बोहर का आठवां उत्तराधिकारी 29 जुलाई 2016 को घोषित किया गया।
महंत चांदनाथ योगी 17 सितंबर 2017 को गम्भीर बीमारी के कारण ब्रह्मलीन हुए जिसके बाद महंत बालकनाथ योगी ने अस्थल बोहर के मठाधीश के रूप में नाथ सम्प्रदाय के सबसे बड़े मठ का दायित्व आठवें मठाधीश के रूप में संभाला।
वर्तमान में महंत बालकनाथ योगी आठवीं शताब्दी में स्थापित हरियाणा के रोहतक में 150 एकड़ भूमि में फैले हुए बाबा मस्तनाथ मठ के मठाधीश और बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी है।
महंत बालकनाथ की शिक्षा कहाँ तक हुई है ?
बाबा बालक नाथ ने बारहवीं कक्षा तक शिक्षा ग्रहण की है जबकि इनके गुरु महंत चांदनाथ स्नातक थे। बाबा बालक नाथ पहली बार वर्ष 2019 में अलवर के सांसद बने थे। यह उनका पहला ही चुनाव था।
मंत्री बाबा बालकनाथ किस गद्दी के महंत हैं ?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बाबा गोरखनाथ का नाथ संप्रदाय की गोरखपुर पीठ या गद्दी के जिस तरह से महंत है योगी आदित्यनाथ उसी तरह रोहतक पीठ या गद्दी के महंत बाबा बालकनाथ हैं। उनके गुरु बाबा चांदनाथ की मौत के बाद योगी आदित्यनाथ के कहने पर ही रोहतक पीठ का महंत बनाया गया था।
बाबा बालकनाथ को मंत्री क्यों बनाया भाजपा ने ?
राजस्थान विधानसभा के वर्ष 2023 के चुनाव में खास बात यह है कि भाजपा ने बाबा बालकनाथ समेत पांच धर्मगुरुओं को मैदान में उतारा था। पांचों जीते लेकिन सबसे ज्यादा हॉट सीट तिजारा विधानसभा क्षेत्र ही रही जहां खुद उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव प्रचार के लिए आए और यूपी से बड़ी संख्या में कार्यकर्ता भी भेजे।
कहा जाता है कि पूरे राजस्थान में बीजेपी की ध्रुवीकरण नीति को फैलाने और कामयाब बनाने में बाबा बालकनाथ के बयानों की बड़ी भूमिका रही। अब कहा जा रहा है कि अगर बीजेपी आलाकमान ने इस नीति का लोकसभा चुनाव में भी विस्तार करने का फैसला किया तो बाबा बालकनाथ मंत्री के रुप में सबसे फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
बाबा बालक को मंत्री बनाने पर मिलेगा राजस्थान में डबल फायदा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आम तौर पर डबल इंजन की सरकार की बात करते रहे हैं। कहा जा रहा है कि बाबा बालक नाथ को राजस्थान की कमान इसीलिए सौंपी गयी है जिसका भाजपा को डबल फायदा मिल सकता है।
कहा जा रहा है कि बाबा बालक नाथ के मंत्री बनने से हरियाणा में भी बीजेपी चुनावी लाभ उठा सकती है जहां कि रोहतक में नाथ संप्रदाय के 150 से ज्यादा शिक्षण संस्थाएं हैं।
इंजीनियरिंग से लेकर मेडिकल कॉलेज तक। वैसे भी बीजेपी हरियाणा में गैर जाट समुदायों को एक करने में लगी है। ऐसे में साधन संपन्न यादव जाति के बाबा बालकनाथ सटीक बैठते हैं।
ओबीसी कार्ड भी बाबा बालक के साथ
मंत्री बाबा बालक नाथ यादव हैं यानी ओबीसी हैं। कांग्रेस पार्टी जनगणना के बहाने ओबीसी कार्ड की सियासत कर रही है। मोदी जी ओबीसी की जातीय जनगणना के मुद्दे को गंभीरता से ले रहे हैं। मोदी हिंदुत्व में ओबीसी कार्ड की काट देख रहे हैं। ऐसे में क्या बाबा बालक नाथ को मंत्री बनाकर हिंदुत्व के साथ साथ ओबीसी कार्ड भी खेला गया है। यह अपने आप में दिलचस्प बात है।
आरएसएस का साथ मिला बाबा बालक नाथ को
सबको पता है कि राजस्थान की सभी 25 लोकसभा सीटें पिछले दो बार से बीजेपी की झोली में जा रही हैं। मोदी जी की मंशा इस बार भी ऐसी ही है क्योंकि दो चार सीटें खोना भी उन्हें गवारा नहीं है।
ऐसे में कुछ जानकारों के अनुसार मोदी का यह सियासी प्रयोग एक बार फिर राजस्थान में लोकसभा की सभी पच्चीस सीटें जीतने में सहायक बन सकते हैं। इस हिसाब से बाबा बालक नाथ खरे उतरते हैं।
वैसे सियासी गलियारों में चर्चा तो यह भी है कि बीजेपी आलाकमान योगी आदित्यनाथ को सियासी रुप से समेटना चाहता है इसलिए गुरु के साथ साथ चेले को बढ़ावा देने की सोच सकता है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या योगी आदित्यनाथ को यह कबूल होगा। कुछ का कहना है कि यूपी में आरएसएस के कहने पर योगी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। राजस्थान में भी आरएसएस बाबा बालक नाथ का नाम आगे बढ़ा रहा है।
विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत में संघ की खास भूमिका रही है। संघ के कहने पर तीन अन्य धर्मगुरुओं समेत करीब पचास से ज्यादा उम्मीदवारों को टिकट दिया गया था।
वसुंधरा पर भारी पड़े बाबा बालक नाथ
राजनीती के जानकारों का कहना है कि अगर मोदी लोकसभा चुनावों की चिंता कर रहे हैं तो ऐसे में वसुंधरा राजे की दावेदारी को नकार कर बाबा को गद्दी सौंपना भारी पड़ सकता है।
इसके अलावा दलित कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी रेस में थे। कुछ का कहना है कि आपसी खींचतान के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का नंबर भी लगने की सम्भावना थी जो सबको साथ लेकर चलने की नीति में यकीन रखते हैं। राजकुमारी दीया कुमारी भी मुख्यमंत्री की रेस में थी।
कुल मिलाकर यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बाबा बालकनाथ को मंत्री बनाकर भाजपा ने सही चाल चली है जो लोकसभा चुनाव में सहायक सिद्ध होगी।
Name | Mahant Balak nath |
Chief Minister | Rajasthan |
Village | Kohrana , Tehsil ( Bahrod) |
Age | 39 Years |
Date of Birth | 16 April 1984 |
Education | 12th Class |
Guru | Mahant Chand Nath |
Chancellor | Baba Mast Nath University , Asthal Bohar ( Rohtak ) |
Cast | Yadav ( Ahir) |
Father’s Name of Baba Balak Nath | Subhash Yadav |
Mother’s name of Baba Balak Nath | Urmila Devi |
Wife | Unmarried |
Kaun Hai Baba Balak Nath ?
महंत बालकनाथ का जन्म राजस्थान प्रदेश के अलवर जिले के बहरोड़ तहसील के कोहराना गांव में 16 अप्रैल 1984 को किसान परिवार में हुआ था।
महंत बालकनाथ की उम्र कितनी है ?
Date of Birth of Mahant Balak nath is 16 April 1984 . महंत बालकनाथ की उम्र 39 साल है .
महंत बालकनाथ की जाति क्या है ?
महंत बालकनाथ की जाति यादव है .
महंत बालकनाथ के माता पिता का नाम क्या है ?
महंत बालकनाथ की माता का नाम उर्मिला देवी और पिता जी का नाम सुभष यादव है .
बाबा बालकनाथ का जन्म कहाँ हुआ था ?
बालकनाथ का जन्म राजस्थान प्रदेश के अलवर जिले के बहरोड़ तहसील के कोहराना गांव में 16 अप्रैल 1984 को किसान परिवार में हुआ था।
बाबा बालकनाथ ने पढाई कहा तक की है ?
बाबा बालकनाथ ने बारहवीं कक्षा तक पढाई की है .
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