आज 4 जुलाई को प्रधानमंत्री श्री नरेंदर मोदी जी द्वारा आंध्र प्रदेश के भीमावरम में महान स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू (Alluri Sitarama Raju) की 125वीं जयंती समारोह के अवसर पर अल्लूरी सीताराम राजू की 30 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया गया , जिसके कारण एक बार फिर देश और दुनिआ का ध्यान अल्लूरी सीताराम राजू की तरफ गया है।
कौन थे अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम ? Who was Alluri Sitarama Raju in Hindi
पिछले दिनों आई हिंदी फिल्म RRR ने भी जहाँ अच्छी खासी कमाई की वहीँ इस RRR फिल्म ने देश में एक नई चर्चा को जन्म दिया कि ये सीताराम राजू और कोमाराम भीम कौन थे ? उन्हीं का जिक्र एक बार फिर से शुरू हो गया है कि आज 4 जुलाई को प्रधानमंत्री श्री नरेंदर मोदी जी द्वारा आंध्र प्रदेश के भीमावरम में जिस महान स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू की 125वीं जयंती समारोह में भाग लिया, आखिर ये अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम कौन हैं।
यही नहीं परधानमंत्री जी ने इसी समारोह में अल्लूरी सीताराम राजू की 30 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा ( Alluri Sitarama Raju statue) का अनावरण भी किया गया , जिसके कारण एक बार फिर देश और दुनिआ का ध्यान अल्लूरी सीताराम राजू की तरफ गया है।
क्या फिल्म RRR की कहानी अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम पर आधारित है , History of Alluri Sitaram Raju and Komaram
जी , हाँ दोस्तों फिल्म RRR की कहानी बिल्कुल सच्ची घटना पर आधारित है, जिसे प्रोडूसर एस. एस. राजामौली (S. S. Rajamouli) ने थोड़े से काल्पनिक अंदाजा में पेश किया है। इस फिल्म की कहानी रियल लाइफ हीरो स्वतन्त्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम पर आधारित है, जिन्होंने वर्ष 1920 में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया था।
हम सब जानते हैं कि इन दिनों भारतीय सिनेमा में फिल्म राइज़ रौर रिवोल्ट (RRR) की धूम मची हुई है, जो अब तक पूरे देश में 500 करोड़ रुपए से अधिक की रिकॉर्ड ब्रेकिंग कमाई कर चुकी है। इस फिल्म को एस. एस. राजामौली (S. S. Rajamouli) ने डायरेक्ट किया है, जबकि RRR की स्टार कास्ट में एक्टर राम चरण, जूनियर एन. टी. आर और आलिया भट्ट का नाम मुख्य रूप से शामिल है।
हमउम्र थे अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम
फिल्म RRR की कहानी बेशक काल्पनिक है, लेकिन इसकी जड़ें अंग्रेजों से लोहा लेने वाले दो वीर पुरुषों अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम से जुड़ी हुई है। इनमे सीताराम राजू का जन्म जहाँ सन् 1897 में विशाखापटनम में हुआ था, वहीँ कोमाराम भीम का जन्म का वर्ष 1900 में आदिलाबाद के संकेपल्ली गांव में हुआ था।
हम जानते हैं कि सीताराम और कोमाराम की उम्र में ज्यादा फर्क नहीं था, इसलिए इनदोनों युवकों ने बचपन से अंग्रेजों के अत्याचार को सहन किया था। ऐसे में अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम के मन में बचपन से ही अंग्रेजों के खिलाफ जंग लड़ने का मन बना लिया था. युद्ध छेड़ने के लिए इन्होने अपनी – अपनी रणनीति बनाई थी।
अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम ने अंग्रेजों के खिलाफ शुरू किया था विद्रोह
दोस्तों, अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए कोमाराम भीम ने अपने आदिवासी समुदाय के कुछ लोगों को अपने साथ मिलाया, उनको समझाया और फिर हैदराबाद की आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था, बताते हैं कि उन्हें गोरिल्ला युद्ध में महारत हासिल थी। ऐसे में कोमाराम भीम और उनके साथियों ने मिलकर वर्ष 1928 से लेकर 1940 तक निजाम और उसकी सेना से युद्ध किया था, इसी दौरान कोमाराम भीम ने लड़ते -लड़ते देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी.
वहीं दूसरी तरफ अल्लूरी सीताराम राजू (Alluri Sitarama Raju) ने अंग्रेजों के निकट रहते हुए उनकी रणनीति को समझने का बेहतरीन प्रयास किया जिसके बाद उन्होंने वर्ष 1922 से 1924 के बीच राम्पा विद्रोह का नेतृत्व किया था। इस विद्रोह के दौरान सीताराम राजू ने ब्रिटिश सैनिकों नाकों चने छपवा दिए थे. इसी वजह से अंग्रेजों की सेना कमजोर पड़ने लगी थी।
दोस्तों , अंग्रेज जानते थे कि अगर अल्लूरी सीताराम राजू जीवित रहे तो वह भारत को आजादी दिलाने के लिए जी-जान लगा देंगे। ऐसे में अंग्रेजों ने सीताराम राजू के खिलाफ दमन नीति का सहारा लिया और सीताराम राजू को लड़ाई के दौरान कैद कर लिया। इसके बाद उन्हें एक पेड़ से बांधकर अनगिनत गोलियों से बेरहमी से भुन डाला था. देश के लिए सवतंत्रता सेनानी सीताराम राजू भी शहीद हो गए ।
क्या है रम्पा क्रांति ? कब हुई रम्पा क्रांति ?
रम्पा क्रांति वर्ष 1879 ई. में हुई थी। आंध्र प्रदेश में यह क्रांति/विद्रोह अल्लूरी सीताराम राजू के नेतृत्व में हुआ, 1879 ई. से लेकर 1920-22 ई. तक छिटपुट ढंग से चलता रहा। आपको बता दें कि आंध्र प्रदेश के तटवर्ती क्षेत्रों में रम्पा आदिवासियों ने अंग्रेज़ सरकार समर्थित मनसबदारों के ख़िलाफ़ यह विद्रोह किया था।
इस विद्रोह का प्रमुख कारण मनसबदारों की मनमानी, उनका भ्रष्टाचार और समाज में जंगल क़ानून मतलब उनकी मनमर्जी का व्याप्त होना था।
सेना की मदद से ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सरकार ने 1880 ई. में इस विद्रोह को दबा दिया। रम्पाओं को ‘मुट्टा’ तथा उनके ज़मींदार को ‘मुट्टादार’ कहा जाता था। सुलिवन ने रम्पाओं के विद्रोह के कारणों की जाँच की थी। उसने नये ज़मीदारों को हटाकर पुराने ज़मींदारों को रखने की सिफारिश की।
प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी ने अल्लूरी सीताराम राजू की 30 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण कहाँ किया
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 4 जुलाई 2022 को आंध्र प्रदेश के भीमावरम में महान स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू के एक साल चलने वाले 125वीं जयंती समारोह का शुभारंभ किया। इस अवसर पर आंध्र प्रदेश के राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन, मुख्यमंत्री श्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी, केंद्रीय मंत्री श्री जी.किशन रेड्डी भी उपस्थित थे।
सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि वह इतनी समृद्ध विरासत के साथ आंध्र प्रदेश की महान भूमि को सलामी देने का अवसर पाकर खुद को गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव, अल्लूरी सीताराम राजू की 125वीं जयंती ( 125th Birth day celebration of Alluri Sitarama Raju ) तथा रम्पा क्रांति की 100वीं वर्षगांठ ( Anniversery of Rampa Kranti) जैसे प्रमुख आयोजनों का संगम है।
प्रधानमंत्री ने महान “मण्यम वीरुडु” अल्लूरी सीताराम राजू को नमन किया और उन्हें पूरे देश की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने इस महान स्वतंत्रता सेनानी के परिवार के सदस्यों से मिलकर प्रसन्नता जाहिर की। प्रधानमंत्री ने ‘आदिवासी परंपरा’ और आंध्र प्रदेश की परंपरा से उभरे इस स्वतंत्रता सेनानी को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
रम्पा क्रांति की 100वीं वर्षगांठ
प्रधानमंत्री ने बताया कि अल्लूरी सीताराम राजू गारू की 125वीं जयंती और रम्पा क्रांति की 100वीं वर्षगांठ का समारोह पूरे साल मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पंडरंगी में उनके जन्म स्थान का जीर्णोद्धार, चिंतापल्ली थाने का जीर्णोद्धार, मोगल्लू में अल्लूरी ध्यान मंदिर का निर्माण जैसे कार्य अमृत महोत्सव की भावना के प्रतीक हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का कार्यक्रम सभी को स्वतंत्रता सेनानियों के वीरता के कार्यों के बारे में जागरूकता पैदा करने की शपथ को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी का संग्राम केवल कुछ वर्षों का, कुछ क्षेत्रों का या कुछ लोगों का इतिहास नहीं है। यह इतिहास भारत के कोने-कोने और कण-कण के त्याग, तप और बलिदानों का इतिहास है। उन्होंने कहा कि हमारे स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास हमारी विविधता, संस्कृति और एक राष्ट्र के रूप में हमारी एकता की ताकत का प्रतीक है।
अल्लूरी सीताराम राजू को भारत की संस्कृति, जनजातीय पहचान, वीरता, आदर्श और मूल्यों का प्रतीक बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सीताराम राजू गारू के जन्म से लेकर उनके बलिदान तक उनकी जीवन यात्रा हम सभी के लिए एक प्रेरणा है।
उन्होंने अपना जीवन आदिवासी समाज के अधिकारों, उनके सुख-दुःख और देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि अल्लूरी सीताराम राजू ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना का प्रतिनिधित्व करते हैं जो देश को एकता के सूत्र में बांध रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के अध्यात्मवाद ने अल्लूरी सीताराम राजू को करुणा और दया की भावना, आदिवासी समाज के लिए पहचान एवं समानता की भावना, ज्ञान और साहस प्रदान किया।
अल्लूरी सीताराम राजू और रम्पा विद्रोह में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीरों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि उनका बलिदान आज भी पूरे देश के लिए ऊर्जा और प्रेरणा का स्रोत है।
देश के युवाओं ने स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया। आज युवाओं के लिए देश के विकास हेतु आगे आने का यह सबसे अच्छा अवसर है, प्रधानमंत्री ने कहा कि नए भारत में नए अवसर, रास्ते, विचार प्रक्रियाएं और संभावनाएं मौजूद हैं और हमारे युवा इन संभावनाओं को साकार करने का दायित्व उठा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आंध्र प्रदेश वीरों और देशभक्तों की धरती है। यहां पिंगली वेंकैया जैसे स्वतंत्रता नायक थे, जिन्होंने देश का झंडा तैयार किया। यह कानेगंती हनुमन्थु, कंदुकुरी वीरसलिंगम पंतुलु और पोट्टी श्रीरामुलु जैसे नायकों की धरती है।
प्रधानमंत्री ने आग्रह किया कि हम सब देशवासियों की जिम्मेदारी है कि हम अमृत काल में इन स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को पूरा करें।
हमारा नया भारत इनके सपनों का भारत होना चाहिए। एक ऐसा भारत जिसमें गरीब, किसान, मजदूर, पिछड़े और आदिवासी सबके लिए समान अवसर हों। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 8 वर्षों के दौरान सरकार ने देश के जनजातीय समुदाय के कल्याण के लिए अथक प्रयास किये हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार देश में जनजातीय गौरव और विरासत को प्रदर्शित करने के लिए जनजातीय संग्रहालय बनाए जा रहे हैं। आंध्र प्रदेश के लंबसिंगी में “अल्लूरी सीताराम राजू मेमोरियल जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय” भी बनाया जा रहा है।
इसी प्रकार 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन को राष्ट्रीय जनता गौरव दिवस के रूप में चिह्नित किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशी शासकों ने जनजातीय समुदाय पर सबसे अधिक अत्याचार किए और उनकी संस्कृति को नष्ट करने के प्रयास भी किए गए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज स्किल इंडिया मिशन के माध्यम से जनजातीय कला और कौशल को नई पहचान मिल रही है। ‘वोकल फॉर लोकल’ जनजातीय कला कौशल को आय का साधन बना रहा है।
दशकों पुराने कानून जो जनजातीय लोगों को बांस जैसे वनोपज काटने से रोकते थे, हमने उन्हें बदल दिया है और उन लोगों को वन उपज पर अधिकार दिया गया है।
इसी तरह न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए वन उत्पादों की संख्या 12 से बढ़ाकर 90 कर दी गई है। 3000 से अधिक वन गण विकास केंद्र और 50,000 से अधिक वन गण स्वयं सहायता समूह जनजातीय उत्पादों और कला को आधुनिक अवसरों से जोड़ रहे हैं।
आकांक्षी जिला योजनाओं से जनजातीय जिलों को बहुत लाभ होगा और शिक्षा के मोर्चे पर 750 से अधिक एकलव्य मॉडल स्कूल स्थापित किए जा रहे हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शिक्षा मातृभाषा में देने को बढ़ावा दिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा “मण्यम वीरुडु” अल्लूरी सीताराम राजू ने अंग्रेजों के साथ अपने संघर्ष के दौरान यह दर्शाया है कि ‘दम है तो हमें रोक लो’ – रोक सको तो रोक लो’ आज देश भी इन चुनौतियों का सामना कर रहा है और इसी साहस के साथ 130 करोड़ देशवासी एकता और ताकत के साथ इन चुनौतियों को कह रहा है- ‘दम है तो हमें रोक लो’।
कार्यक्रम की पृष्ठभूमि
आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में सरकार स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को उचित मान्यता देने और देश के लोगों को उनके बारे में जागरूक करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस प्रयास के हिस्से के रूप में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आंध्र प्रदेश के भीमावरम में महान स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू के एक साल चलने वाले 125वीं जयंती समारोह का शुभारंभ किया।
4 जुलाई 1897 को जन्मे, अल्लूरी सीताराम राजू को पूर्वी घाट क्षेत्र में जनजातीय समुदायों के हितों की सुरक्षा के लिए अंग्रेजों के खिलाफ उनकी लड़ाई के लिए स्मरण किया जाता है। उन्होंने रम्पा विद्रोह का नेतृत्व किया था, जो 1922 में शुरू हुआ था। उन्हें स्थानीय लोगों द्वारा “मण्यम वीरुडु” (जंगलों का नायक) कहा जाता है।
सरकार ने एक साल चलने वाले समारोह के हिस्से के रूप में कई पहल शुरू करने की योजना बनाई है। विजयनगरम जिले के पंडरंगी में अल्लूरी सीताराम राजू की जन्मस्थली और चिंतापल्ली पुलिस स्टेशन (रम्पा विद्रोह के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में- इस पुलिस स्टेशन पर हुए हमले से रम्पा विद्रोह की शुरुआत हुई थी) का जीर्णोद्धार किया जाएगा।
सरकार ने मोगल्लु में अल्लूरी ध्यान मंदिर के निर्माण को भी मंजूरी दे दी है, जिसमें ध्यान मुद्रा में अल्लूरी सीताराम राजू की एक मूर्ति है, जिसमें भित्ति चित्रों और एआई-सक्षम इंटरैक्टिव सिस्टम के माध्यम से इस स्वतंत्रता सेनानी की जीवन कहानी को दर्शाया गया है।
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लोरी सीताराम राजू कौन थे in Hindi ?
महान क्रांतिकारी अल्लूरी सीताराम राजू का जन्म ४ जुलाई १८९७ को विशाखापट्टणम जिले के पांड्रिक गांव में हुआ। क्रांतिकारी, वीर राजू ने स्कूली शिक्षा के साथसाथ निजी रुचि के तौर पर वैद्यक और ज्योतिष का भी अध्ययन किया और यह अध्ययन उनके व्यवहारिक अभ्यास में भी लगा रहा।
श्रीराम राजू का पूरा नाम क्या था आदिवासियों से उनका परिचय किस प्रकार हुआ था ?
अल्लूरी सीताराम राजू ( 4 जुलाई 1897 – 1924) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक क्रांतिकारी थे।
अल्लूरी सीताराम राजू का जन्म कब हुआ ? Birth of Alluri Sitarama Raju
4 July 1897
रम्पा विद्रोह का नेता कौन था ?
रम्पा विद्रोह वर्ष 1879 ई. में किया गया था। आंध्र प्रदेश में यह विद्रोह अल्लूरी सीताराम राजू के नेतृत्व में हुआ, 1879 ई.
सीताराम राजू ने कहाँ तक पढ़ाई की थी ?
महान क्रांतिकारी अल्लूरी सीताराम राजू का जन्म ४ जुलाई १८९७ को विशाखापट्टणम जिले के पांड्रिक गांव में हुआ। क्रांतिकारी, वीर राजू ने स्कूली शिक्षा के साथसाथ निजी रुचि के तौर पर वैद्यक और ज्योतिष का भी अध्ययन किया .
What is name of Alluri sitarama raju’s brother ?
His lietunant, Ghantam Dora was killed on 6 June 1924, his brother Mallam Dora was caught and imprisoned, who after independence became a member of the Indian Lok Sabha.
Death of Alluri Sitarama Raju ?
Death date of Alluri Sitarama Raju 7 May 1924 .
अल्लूरी सीताराम राजू (Alluri Sitarama Raju) का जन्म स्थान कहाँ है ?
अल्लूरी सीताराम राजू (Alluri Sitarama Raju) का जन्म स्थान आंध्रप्रदेश के गॉंव पंडरंगी में है.
अल्लूरी सीताराम राजू (Alluri Sitarama Raju) के नाम से अल्लूरी ध्यान मंदिर (Alluri Dhyan Mandir ) कहाँ बनाया जायेगा ?
अल्लूरी सीताराम राजू (Alluri Sitarama Raju) की याद में आंध्रप्रदेश के गॉंव मोगल्लू में अल्लूरी ध्यान मंदिर का निर्माण किया जायेगा।
भारत देश का झंडा किसने तैयार किया ? पिंगली वेंकैया कौन थे ?
पिंगली वेंकैया ने भारत देश का झंडा तैयार किया, जैसे स्वतंत्रता नायक थे, पिंगली वेंकैया देश के स्वतंत्रता नायक थे.
कानेगंती हनुमन्थु, कंदुकुरी वीरसलिंगम पंतुलु और पोट्टी श्रीरामुलु जैसे नायक किस प्रदेश के थे ?
कानेगंती हनुमन्थु, कंदुकुरी वीरसलिंगम पंतुलु और पोट्टी श्रीरामुलु जैसे नायक आंध्रप्रदेश की धरती से पैदा हुए थे.
“अल्लूरी सीताराम राजू मेमोरियल जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय” कहाँ बनाया जा रहा है ?
आंध्र प्रदेश के लंबसिंगी में “अल्लूरी सीताराम राजू मेमोरियल जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय” भी बनाया जा रहा है।
भगवान बिरसा मुंडा का जन्मदिन कब है ? बिरसा मुंडा के जन्म दिन को किस रूप में मनाया जायेगा ?
भगवान बिरसा मुंडा का जन्मदिन 15 नवंबर है , बिरसा मुंडा के जन्मदिन को राष्ट्रीय जनता गौरव दिवस के रूप में चिह्नित किया गया है।
अल्लूरी सीताराम राजू को क्या कहा जाता है ? Alluri Sitaram Raju famous for ?
आंध्रप्रदेश के स्थानीय लोगों द्वारा अल्लूरी सीताराम राजू को “मण्यम वीरुडु” (जंगलों का नायक) कहा जाता है।
अल्लूरी सीताराम राजू ने किस थाने पर हमला करके रम्पा क्रांति/विद्रोह की शुरुआत की थी ?
अल्लूरी सीताराम राजू ने आंध्रप्रदेश के चिंतापल्ली पुलिस स्टेशन पर हमला करके रम्पा क्रांति/विद्रोह की शुरुआत की थी , अब रम्पा विद्रोह के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में- इस पुलिस स्टेशन का जीर्णोद्धार किया जाएगा।
Height of Alluri Sitarama Raju’s statue ?
30 Feet is height of Alluri Sitarama Raju’s statue .
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