Who is Draupadi Murmu:द्रौपदी मुर्मू (64) कौन है/द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनी

दोस्तों 21 जून 2022 की रात को जैसे ही एनडीए ने राष्ट्रपति क पद के लिए अपने उम्मीदवार के तौर पर द्रौपदी मुर्मू का नाम आगे किया तो सब लोग ढूंढने लगे कि द्रौपदी मुर्मू कौन है ? इसके ठीक एक महीने बाद 21 जुलाई 2022 को आये परिणामों में श्रीमती द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बन गई हैं. उन्होंने यूपीए गठबंधन के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को भारी मतों के अंतर् से मात दी है।Who is Draupadi Murmu. द्रौपदी मुर्मू की सफलता व मेहनत पर हम कह सकते है कि :

संघर्ष की आग में जो हर पल

सोने सा खुद को तपाते हैं,

कामयाबी उन्हीं को मिलती है

वही इतिहास रचाते हैं।

द्रौपदी मुर्मू कौन है ? द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय

एनडीए ने जिस महिला द्रौपदी मुर्मू का नाम राष्ट्रपति पद के लिए अपनी तरफ से तय किया है और जो 21 जुलाई 2022 को राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित हुई है , उस द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा राज्य के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है। इनकी माता का नाम किनगो टुडू है. वह एक आदिवासी जातीय समूह संथाल परिवार से संबंध रखती हैं।

राष्ट्रपति पद के लिए चुने जाने वाली भारत की पहली आदिवासी महिला हैं द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu)

राष्ट्रपति चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया। दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में हुई भाजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक में यह खास फैसला लिया गया।

राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) के नाम की घोषणा करते हुए भाजपा के राष्ट्रिय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि पहली बार किसी आदिवासी महिला प्रत्याशी को वरीयता दी गई है। उन्होंने कहा, “हम आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए द्रौपदी मुर्मू को एनडीए के उम्मीदवार के रूप में घोषित करते हैं।” राष्ट्रपति चुने जाने पर 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू भारत की राष्ट्रपति बनने वाली पहली आदिवासी महिला होंगी।

कौन हैं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ?

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) के जीवन के बारे में बात करें तो ओडिशा में सिंचाई और बिजली विभाग में एक कनिष्ठ सहायक से लेकर भाजपा के नेतृत्व वाले राजग की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार नामित होने तक का सफर आदिवासी नेता मुर्मू के लिए बेहद लंबा और मुश्किल रहा है. द्रौपदी मुर्मू ने एक शिक्षक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और फिर ओडिशा की राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने वर्ष 1997 में एक पार्षद के रूप में चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। उसी वर्ष, उन्हें भाजपा के एसटी मोर्चा का राज्य उपाध्यक्ष चुना गया। वह मयूरभंज जिला के ( वर्ष 2000 और वर्ष 2009) के रायरंगपुर से भाजपा के टिकट पर दो बार विधायक चुनी गई।

द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में भाजपा पार्टी के भीतर कई प्रमुख पदों पर कार्य किया है। मुर्मू वर्ष 2013 से 2015 तक इस पार्टी की एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी थीं। वो पहली ओडिया नेता हैं जिन्हें किसी भारतीय राज्य की राज्यपाल नियुक्त किया गया है. द्रोपदी मुर्मू को भारतीय जनता पार्टी द्वारा राष्ट्रपति चुनाव 2022 में अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किया, और 21 जुलाई 2022 को राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित भी हो गई।

द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) का राजनैतिक सफर

द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) के राजनैतिक सफर की बात करें तो वे उड़ीसा में भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल के गठबंधन सरकार के दौरान, वह 6 मार्च, 2000 से 6 अगस्त, 2002 तक वाणिज्य एवं परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहीं। इसके अलावा उनके पास 6 अगस्त, 2002 से 16 मई 2004 तक मत्स्य पालन एवं पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री का प्रभार रहा था. द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu), जिनका जन्म ओडिशा के आदिवासी परिवार में हुआ था , वे झारखण्ड की नौवीं राज्यपाल बनी थीं।

वह एक सुलझी हुई राजनीतिज्ञ मानी जाती हैं। द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) अनुसूचित जनजाति समुदाय से आती हैं। राज्यपाल बनने से पहले वह भारतीय जनता पार्टी की सदस्य रही हैं। यही नहीं द्रौपदी मुर्मू झारखण्ड के गठन के बाद से पांच साल का कार्यकाल (2015-2021) पूरा करने वाली झारखंड की पहली राज्यपाल हैं। वे 2000 से 2004 के बीच उड़ीसा सरकार मैं स्वतंत्र प्रभाव से राज्य मंत्री के रूप में वाणिज्य एवं ट्रांसपोर्ट विभाग के पद पर विराजमान रही।

द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) 2002 से 2004 के बीच उड़ीसा सरकार में पशुपालन और मत्स्य विभाग में राज्य मंत्री के रूप में पद को संभाला था। वे 2002 से 2009 तक एसटी मोर्चा की राष्ट्र कार्यकारिणी सदस्य भारतीय जनता पार्टी में रही। द्रोपदी मुर्मू को वर्ष 2007 में उड़ीसा विधानसभा के द्वारा Neelkanth Award से सम्मानित किया गया। द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) 2013 से अप्रैल 2015 तक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी में एसटी मोर्चा की सदस्य बनी रहे।

वे 2015 से 2021 तक राज्यपाल के रूप में द्रौपदी को भारत की पहली आदिवासी महिला होने का गौरव प्राप्त है , वे सबसे लम्बे समय तक झारखंड की राज्यपाल बनी रही , यह रिकॉर्ड भी उन्ही के नाम है। अब पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनने का रिकॉर्ड भी महामहीम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के नाम बन गया है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय

पूरा नामद्रौपदी मुर्मू
जन्म20 जून 1958
जन्म स्थानमयूरभंज, उड़ीसा
पिता का नामबिरांची नारायण टुडु
माता  का नामकिनगो टुडू
पति का नामश्याम चरण मुर्मू
बेटी का नामइतिश्री मुर्मू
द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू की शिक्षा

राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू बेशक गरीब परिवार में पैदा हुई परन्तु वह बचपन से ही एक होनहार छात्रा रही है. उन्होंने वर्ष 1979 में रामा देवी महिला महाविद्यालय से बीए की डिग्री प्राप्त की। मुर्मू ने कई वर्षों तक अध्यापिका के तौर पर बच्चों को भी पढ़ाया।

राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू को मिले हुए पुरस्कारों के नाम

राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपति मुर्मू ने अपने जीवन में हमेशा शालीनता का परिचय दिया. उनकी अच्छी भावना व् कार्यों को देखते हुए वर्ष 2007 में उड़ीसा विधानसभा द्वारा श्रेष्ठ विधायक के लिए द्रोपति मुर्मू को ‘नीलकंठ पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।

भाजपा ने इसलिए चुना है द्रौपदी मुर्मू का नाम ?

माना जाता है कि द्रौपदी मुर्मू को अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की है। भाजपा आदिवासियों पर ध्यान केंद्रित कर रही है क्योंकि गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जल्दी ही चुनाव होने हैं। इन राज्यों में आदिवासियों का अच्छी खासी संख्या है। इसलिए आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाने से आदिवासी पर पभाव पड़ना स्वाभाविक हैं।

वहीं 22 जून 2022 को वे अपने दिल्ली के अपने सफर पर निकलने से पहले मुर्मू को ओडिशा के मयूरभंज जिले के आदिवासी बहुल अपने कस्बे में स्थित शिवमंदिर में सुबह सूर्योदय से पहले झाडू लगाते देखा गया था. मुर्मू हर रोज वहां झाड़ू लगातीं हैं. मुर्मू अगस्त 2021 में झारखंड के राज्यपाल पद से रिटायर होने के बाद यहां लौटी थीं और तब से मंदिर के परिसर को रोज साफ कर रही हैं.

राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने 24 जून को नामांकन दाखिल किया

PM Narender Modi Congratulate to Mrs. Draupadi Murmu for wining President election.

झारखंड की पूर्व राज्यपाल 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू ने 24 जून को प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में अपना नामांकन दाखिल किया. याद रहे कि बीजद ने भी मुर्मू की उम्मीदवारी का समर्थन किया है. प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी मुर्मू के नामांकन पत्र में पहले प्रस्तावक रहे.

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होने पर बधाई दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और उन्हें 22 जुलाई 2022 को भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होने पर बधाई दी। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया: “श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी से मुलाकात की और उन्हें बधाई दी।”

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को राष्ट्रपति पद पर उनकी ऐतिहासिक जीत की बधाई दी। श्री अमित शाह ने भी श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को देश के सर्वोच्च पद पर चुने जाने के ऐतिहासिक क्षण पर आज नई दिल्ली में उनसे भेंट कर उन्हें शुभकामनाएं दीं।

राष्ट्रपति पद संभालने के अवसर पर 25 जुलाई 2022 को श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने क्या कहा ? (Speech of Draupdi Murmu)

जोहार ! नमस्कार ! भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर निर्वाचित करने के लिए मैं सभी सांसदों और सभी विधानसभा सदस्यों का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं। आपका मत देश के करोड़ों नागरिकों के विश्वास की अभिव्यक्ति है। मैं भारत के समस्त नागरिकों की आशा-आकांक्षा और अधिकारों की प्रतीक इस पवित्र संसद से सभी देशवासियों का पूरी विनम्रता से अभिनंदन करती हूँ। आपकी आत्मीयता, आपका विश्वास और आपका सहयोग, मेरे लिए इस नए दायित्व को निभाने में मेरी बहुत बड़ी ताकत होंगे।

मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है जब हम अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा। ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी ,और आज आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला है।

ऐसे ऐतिहासिक समय में जब भारत अगले 25 वर्षों के विजन को हासिल करने के लिए पूरी ऊर्जा से जुटा हुआ है, मुझे ये जिम्मेदारी मिलना मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है।मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूँ जिसका जन्म आज़ाद भारत में हुआ है। हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिंदुस्तान के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं, उनकी पूर्ति के लिए इस अमृतकाल में हमें तेज गति से काम करना है। इन 25 वर्षों में अमृतकाल की सिद्धि का रास्ता दो पटरियों पर आगे बढ़ेगा- सबका प्रयास और सबका कर्तव्य।

भारत के उज्ज्वल भविष्य की नई विकास यात्रा, हमें सबके प्रयास से करनी है, कर्तव्य पथ पर चलते हुए करनी है ,कल यानि 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस भी है। ये दिन, भारत की सेनाओं के शौर्य और संयम, दोनों का ही प्रतीक है। मैं आज, देश की सेनाओं को तथा देश के समस्त नागरिकों को कारगिल विजय दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं देती हूं।

देवियों और सज्जनों, मैंने अपनी जीवन यात्रा पूर्वी भारत में ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गाँव से शुरू की थी। मैं जिस पृष्ठभूमि से आती हूँ, वहां मेरे लिये प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था। लेकिन अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा संकल्प दृढ़ रहा और मैं कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनी। मैं जनजातीय समाज से हूँ, और वार्ड कौन्सिलर से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है।

यह लोकतंत्र की जननी भारतवर्ष की महानता है। ये हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है। राष्ट्रपति के पद तक पहुँचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है।

और ये मेरे लिए बहुत संतोष की बात है कि जो सदियों से वंचित रहे, जो विकास के लाभ से दूर रहे, वे गरीब, दलित, पिछड़े तथा आदिवासी मुझ में अपना प्रतिबिंब देख रहे हैं। मेरे इस निर्वाचन में देश के गरीब का आशीर्वाद शामिल है, देश की करोड़ों महिलाओं और बेटियों के सपनों और सामर्थ्य की झलक है।

मेरे इस निर्वाचन में, पुरानी लीक से हटकर नए रास्तों पर चलने वाले भारत के आज के युवाओं का साहस भी शामिल है। ऐसे प्रगतिशील भारत का नेतृत्व करते हुए आज मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ। मैं आज समस्त देशवासियों को, विशेषकर भारत के युवाओं को तथा भारत की महिलाओं को ये विश्वास दिलाती हूं कि इस पद पर कार्य करते हुए मेरे लिए उनके हित सर्वोपरि होंगे।

देवियों और सज्जनों, मेरे सामने भारत के राष्ट्रपति पद की ऐसी महान विरासत है जिसने विश्व में भारतीय लोकतन्त्र की प्रतिष्ठा को निरंतर मजबूत किया है। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद से लेकर श्री राम नाथ कोविन्द जी तक, अनेक विभूतियों ने इस पद को सुशोभित किया है। इस पद के साथ साथ देश ने इस महान परंपरा के प्रतिनिधित्व का दायित्व भी मुझे सौंपा है। संविधान के आलोक में, मैं पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करूंगी। मेरे लिए भारत के लोकतांत्रिक-सांस्कृतिक आदर्श और सभी देशवासी हमेशा मेरी ऊर्जा के स्रोत रहेंगे।

देवियों और सज्जनों, हमारे स्वाधीनता संग्राम ने एक राष्ट्र के तौर पर भारत की नई यात्रा की रूपरेखा तैयार की थी। हमारा स्वाधीनता संग्राम उन संघर्षों और बलिदानों की अविरल धारा था जिसने आज़ाद भारत के लिए कितने ही आदर्शों और संभावनाओं को सींचा था। पूज्य बापू ने हमें स्वराज, स्वदेशी, स्वच्छता और सत्याग्रह द्वारा भारत के सांस्कृतिक आदर्शों की स्थापना का मार्ग दिखाया था।

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, नेहरू जी, सरदार पटेल, बाबा साहेब आंबेडकर, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चन्द्रशेखर आज़ाद जैसे अनगिनत स्वाधीनता सेनानियों ने हमें राष्ट्र के स्वाभिमान को सर्वोपरि रखने की शिक्षा दी थी। रानी लक्ष्मीबाई, रानी वेलु नचियार, रानी गाइदिन्ल्यू और रानी चेन्नम्मा जैसी अनेकों वीरांगनाओं ने राष्ट्ररक्षा और राष्ट्रनिर्माण में नारीशक्ति की भूमिका को नई ऊंचाई दी थी।

संथाल क्रांति, पाइका क्रांति से लेकर कोल क्रांति और भील क्रांति ने स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी योगदान को और सशक्त किया था। सामाजिक उत्थान एवं देश-प्रेम के लिए ‘धरती आबा’ भगवान् बिरसा मुंडा जी के बलिदान से हमें प्रेरणा मिली थी। मुझे खुशी है कि आजादी की लड़ाई में जनजातीय समुदाय के योगदान को समर्पित अनेक म्यूजियम देशभर में बनवाए जा रहे हैं।

द्रौपदी मुर्मू ( Draupdi Murmu ) ने आगे कहा : देवियों और सज्जनों,
एक संसदीय लोकतंत्र के रूप में 75 वर्षों में भारत ने प्रगति के संकल्प को सहभागिता एवं सर्व-सम्मति से आगे बढ़ाया है। विविधताओं से भरे अपने देश में हम अनेक भाषा, धर्म, संप्रदाय, खान-पान, रहन-सहन, रीति-रिवाजों को अपनाते हुए ‘एक भारत – श्रेष्ठ भारत’ के निर्माण में सक्रिय हैं। आजादी के 75वें वर्ष के अवसर पर आया ये अमृतकाल भारत के लिए नए संकल्पों का कालखंड है। आज मैं इस नए युग के स्वागत में अपने देश को नई सोच के साथ तत्पर और तैयार देख रही हूँ। भारत आज हर क्षेत्र में विकास का नया अध्याय जोड़ रहा है।

कोरोना महामारी के वैश्विक संकट का सामना करने में भारत ने जिस तरह का सामर्थ्य दिखाया है, उसने पूरे विश्व में भारत की साख बढ़ाई है। हम हिंदुस्तानियों ने अपने प्रयासों से न सिर्फ इस वैश्विक चुनौती का सामना किया बल्कि दुनिया के सामने नए मापदंड भी स्थापित किए। कुछ ही दिन पहले भारत ने कोरोना वैक्सीन की 200 करोड़ डोज़ लगाने का कीर्तिमान बनाया है। इस पूरी लड़ाई में भारत के लोगों ने जिस संयम, साहस और सहयोग का परिचय दिया, वो एक समाज के रूप में हमारी बढ़ती हुई शक्ति और संवेदनशीलता का प्रतीक है।

भारत ने इन मुश्किल हालात में न केवल खुद को संभाला बल्कि दुनिया की मदद भी की। कोरोना महामारी से बने माहौल में, आज दुनिया भारत को नए विश्वास से देख रही है। दुनिया की आर्थिक स्थिरता के लिए, सप्लाई चेन की सुगमता के लिए, और वैश्विक शांति के लिए दुनिया को भारत से बहुत उम्मीदें हैं। आगामी महीनों में भारत अपनी अध्यक्षता में G-20 ग्रुप की मेजबानी भी करने जा रहा है। इसमें दुनिया के बीस बड़े देश भारत की अध्यक्षता में वैश्विक विषयों पर मंथन करेंगे। मुझे विश्वास है भारत में होने वाले इस मंथन से जो निष्कर्ष और नीतियाँ निर्धारित होंगी, उनसे आने वाले दशकों की दिशा तय होगी।

द्रौपदी मुर्मू ( Draupdi Murmu ) ने आगे कहा : देवियों और सज्जनों,
दशकों पहले मुझे रायरंगपुर में श्री ऑरोबिंदो इंटीग्रल स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्य करने का अवसर मिला था। कुछ ही दिनों बाद श्री ऑरोबिंदो की 150वीं जन्मजयंती मनाई जाएगी। शिक्षा के बारे में श्री ऑरोबिंदो के विचारों ने मुझे निरंतर प्रेरित किया है। जनप्रतिनिधि के रूप में विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए और फिर राज्यपाल के रूप में भी मेरा शिक्षण संस्थानों के साथ सक्रिय जुड़ाव रहा है। मैंने देश के युवाओं के उत्साह और आत्मबल को करीब से देखा है। हम सभी के श्रद्धेय अटल जी कहा करते थे कि देश के युवा जब आगे बढ़ते हैं तो वे सिर्फ अपना ही भाग्य नहीं बनाते बल्कि देश का भी भाग्य बनाते हैं।
आज हम इसे सच होते देख रहे हैं।

द्रौपदी मुर्मू ( Draupdi Murmu ) ने आगे कहा : Vocal For Local से लेकर Digital India तक हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा आज का भारत विश्व के साथ कदम से कदम मिला कर ‘औद्योगिक क्रांति फोर पॉइंट ओ’ के लिए पूरी तरह तैयार है। रिकॉर्ड संख्या में बन रहे स्टार्ट-अप्स में, नए-नए इनोवेशन में, दूर-सुदूर क्षेत्रों में डिजिटल टेक्नोलॉजी की स्वीकार्यता में भारत के युवाओं की बड़ी भूमिका है। बीते वर्षों में भारत ने जिस तरह महिला सशक्तिकरण के लिए निर्णय लिए हैं, नीतियां बनाई हैं, उससे भी देश में एक नई शक्ति का संचार हुआ है।

मैं चाहती हूं कि हमारी सभी बहनें व बेटियां अधिक से अधिक सशक्त हों तथा वे देश के हर क्षेत्र में अपना योगदान बढ़ाती रहें। मैं अपने देश के युवाओं से कहना चाहती हूं कि आप न केवल अपने भविष्य का निर्माण कर रहे हैं बल्कि भविष्य के भारत की नींव भी रख रहे हैं। देश के राष्ट्रपति के तौर पर मेरा हमेशा आपको पूरा सहयोग रहेगा।

द्रौपदी मुर्मू ( Draupdi Murmu ) ने आगे कहा : देवियों और सज्जनों,
विकास और प्रगतिशीलता का अर्थ निरंतर आगे बढ़ना होता है, लेकिन साथ ही अपने अतीत का ज्ञान भी उतना ही आवश्यक है। आज जब विश्व sustainable planet की बात कर रहा है तो उसमें भारत की प्राचीन परंपराओं, हमारे अतीत की sustainable lifestyle की भूमिका और बढ़ जाती है। मेरा जन्म तो उस जनजातीय परंपरा में हुआ है जिसने हजारों वर्षों से प्रकृति के साथ ताल-मेल बनाकर जीवन को आगे बढ़ाया है।

मैंने जंगल और जलाशयों के महत्व को अपने जीवन में महसूस किया है। हम प्रकृति से जरूरी संसाधन लेते हैं और उतनी ही श्रद्धा से प्रकृति की सेवा भी करते हैं। यही संवेदनशीलता आज वैश्विक अनिवार्यता बन गई है। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि भारत पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में विश्व का मार्गदर्शन कर रहा है।

द्रौपदी मुर्मू ( Draupdi Murmu ) ने आगे कहा : देवियों और सज्जनों,
मैंने अपने अब तक के जीवन में जन-सेवा में ही जीवन की सार्थकता को अनुभव किया है। श्री जगन्नाथ क्षेत्र के एक प्रख्यात कवि भीम भोई जी की कविता की एक पंक्ति है-
“मो जीवन पछे नर्के पड़ी थाउ, जगत उद्धार हेउ”।
अर्थात, अपने जीवन के हित-अहित से बड़ा जगत कल्याण के लिए कार्य करना होता है।
जगत कल्याण की इसी भावना के साथ, मैं आप सब के विश्वास पर खरा उतरने के लिए पूरी निष्ठा व लगन से काम करने के लिए सदैव तत्पर रहूंगी।
आइए, हम सभी एक जुट होकर समर्पित भाव से कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ें तथा वैभवशाली व आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करें।
धन्यवाद,
जय हिन्द!

People also ask : Kya hai Agnipath scheme 2022/अग्निपथ योजना

What is Mascot of Khelo India Youth Games 2022 :

भारत में विपक्ष का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार कौन थे ?

विपक्ष ने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को बनाया थे अपना उम्मीदवार.

मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल कब समाप्त होगा ?

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई 2022 को समाप्त हो रहा है।

राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए मतदान कब हुआ ?

18 जुलाई 2022 को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान हुआ है।

भारत के राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरने की अंतिम तिथि कब थी ?

भारत में राष्ट्रपति के पद के लिए नामांकन भरने की प्रक्रिया जारी है और 29 जून 2022 नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि थी।

What is spouse name of Draupadi Murmu ?

Shyam Charan Murmu (deceased).

How many children have Draupadi Murmu ?

Draupadi Murmu have family of Children 2 sons (deceased), 1 daughter.

What is father name of Draupadi Murmu ?

Her father’s name is Biranchi Narayan Tudu.

Family of Draupadi Murmu ?

Draupadi Murmu was married to Shyam Charan Murmu. The couple had two sons and a daughter. Draupadi Murmu’s life has been marked by personal tragedies and the loss of husband and two sons.

झारखंड की पहली महिला राज्यपाल कौन है ?

झारखंड की पहली महिला राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू थी।

कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव ?

हम आपको बताएंगे कि कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव ? इसमें उपराष्ट्रपति को जहां लोकसभा और राज्यसभा के Elected MP चुनते हैं, वहीं राष्ट्रपति को Electoral College चुनता है जिसमें लोकसभा, राज्यसभा और अलग अलग राज्यों के MLA,s होते हैं. भारत में राष्ट्रपति का चुनाव यही इलेक्टोरल कॉलेज करता है, जिसमें इसके सदस्यों का प्रतिनिधित्व आनुपातित होता है. यहां पर उनका सिंगल वोट Transfer होता है, पर उनकी दूसरी पसंद की भी गिनती होती है. इस प्रक्रिया को ऐसे आसानी से समझा जा सकता है.

राष्ट्रपति के चुनाव में कौन करता है वोट ?

भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुने गए Member और लोकसभा तथा राज्यसभा में चुनकर आए एमपी अपने वोट के माध्यम से करते हैं. उल्लेखनीय है कि सांविधानिक ताकत का प्रयोग कर जिन सांसदों को राष्ट्रपति नामित करते हैं वे MP राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डाल सकते हैं.

इसके अलावा भारत में 9 राज्यों में विधानपरिषद भी हैं. इन विधान परिषद के Members भी राष्ट्रपति चुनाव में Vote का प्रयोग नहीं कर सकते हैं. यहां से यह स्पष्ट है कि राष्ट्रपति का चयन जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ही करते हैं. इसलिए राष्ट्रपति परोक्ष रूप से जनता द्वारा ही चयनित होता है.

भारत में राष्ट्रपति के चुनाव में एक विशेष तरीके से वोटिंग होती है. इसे Single transferable Vote system कहते हैं. यानी एकल स्थानंतर्णीय प्रणाली. सिंगल वोट यानी वोटर एक ही वोट देता है, लेकिन वह कई उम्मीदवारों को अपनी प्राथमिकी से वोट देता है. यानी वह बैलेट पेपर पर यह बताता है कि उसकी पहली पसंद कौन है और दूसरी, तीसरी कौन. 

सांसदों के मतों के waightage का formula कुछ अलग है. सबसे पहले सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुने गए सदस्यों के वोटों का वेटेज जोड़ा जाता है. अब इस सामूहिक वेटेज को लोकसभा के चुने हुए सांसदों और राज्यसभा की कुल संख्या से भाग दिया जाता है. इस तरह जो अंक मिलता है, वह एक सांसद के वोट का वेटेज होता है. अगर इस तरह भाग देने पर शेष 0.5 से ज्यादा बचता हो तो वेटेज में एक का इजाफा हो जाता है.

Power of Vote of a MLA : राज्यों के विधायकों के मत के वेटेज के लिए उस State की जनसंख्या देखी जाती है. इसके साथ ही उस प्रदेश के विधानसभा सदस्यों की संख्या को भी देखा जाता है. वेटेज निकालने के लिए प्रदेश की जनसंख्या को चुने गए विधायकों की संख्या से Divide दिया जाता है. इस तरह जो अंक मिलता है, उसे फिर 1000 से भाग दिया जाता है. अब जो अंक आता है, वही उस राज्य के एक विधायक के वोट का वेटेज होता है. 1000 से भाग देने पर अगर शेष 500 से ज्यादा हो तो वेटेज में 1 जोड़ दिया जाता है.

राष्ट्रपति के चुनाव में मतों की गिनती की प्रक्रिया क्या है ?

भारत में राष्ट्रपति के चुनाव में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने से ही Victory तय नहीं होती है. राष्ट्रपति वही बनता है, जो वोटरों यानी सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल वेटेज का आधा से ज्यादा हिस्सा हासिल करे. अर्थ यह हुआ कि इस चुनाव में पहले से तय होता है कि जीतने वाले को कितना वोट चाहिए.

इस समय राष्ट्रपति चुनाव के लिए जो Electoral College है, उसके सदस्यों के वोटों का कुल वेटेज 10,98,882 है. जीत के लिए प्रत्याशी को हासिल 5,49,442 वोट करने होंगे. जो प्रत्याशी सबसे पहले यह वोट हासिल करता है, वह राष्ट्रपति चुन लिया जाएगा.

राष्ट्रपति के चुनाव में पहले ही रेस से कैसे बाहर हो जाते हैं प्रत्याशी ?

राष्ट्रपति के चुनाव में कुछ उम्मीदवार ऐसे भी होते है, जो पहले ही रेस से बाहर हो जाते हैं. उस कैंडिडेट को चुनाव में दौड़ से बाहर किया जाता है, जिसे पहली गिनती में सबसे कम वोट मिले हों. लेकिन उसको मिले वोटों में से यह देखा जाता है कि उनकी दूसरी पसंद के कितने वोट किस candidate को मिले हैं.
फिर सिर्फ दूसरी पसंद के ये वोट बचे हुए उम्मीदवारों के खाते में ट्रांसफर किए जाते हैं. यदि ये वोट मिल जाने से किसी उम्मीदवार के कुल वोट तय संख्या तक पहुंच गए तो वह उम्मीदवार जीता हुआ माना जाता है. अन्यथा दूसरे दौर में सबसे कम वोट पाने वाला राष्ट्रपति की दौड़ से बाहर हो जाएगा और यह प्रक्रिया फिर से दोहराई जाएगी. इस तरह वोटर का single वोट ही ट्रांसफर होता है.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जन्म कब हुआ ?

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले में हुआ था.

द्रौपदी मुर्मू ने अपनी स्नातक की पढाई किस कॉलेज से की थी ?

द्रौपदी मुर्मू ने अपनी स्नातक की पढाई भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से कला संकाय में की थी.

द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति के पद के लिए अपना नामांकन कब भरा ?

द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति के पद के लिए अपना नामांकन 24 जून 2022 को भरा था ?

भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति कौन है ?

भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनने का रिकॉर्ड महामहीम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के नाम है।

भारत के 15वें राष्ट्रपति का नाम क्या है ?

श्रीमती द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुई हैं।

Sharing Is Caring:

Leave a Comment