Good Governance Day 2022 : 25 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है सुशासन दिवस ?

Good Governance Day 2022 ( सुशासन दिवस पर निबंध ) : सुशासन दिवस का जिक्र होते ही आम तौर पर लोग पूछते हैं कि 25 दिसंबर को क्यों ही मनाया जाता है सुशासन दिवस ? और सुशासन दिवस कब मनाना शुरू किया गया ? 25 दिसंबर को किस महापुरुष का जन्म दिन है ?

When celebrated Good Governance Day/कब मनाया जाता है सुशासन दिवस

सुशासन दिवस इन हिंदी : दोस्तों, आपको बताना चाहेंगे कि वर्ष 2014 से हर वर्ष 25 दिसंबर को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर सुशासन दिवस (Good Governance Day in Hindi) मनाया जाता है।

सरकार में जवाबदेही के प्रति लोगों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तथा श्री वाजपेयी के सम्मान में यह दिन मनाना शुरू किया गया था। सुशासन दिवस को सरकार के लिए कार्य दिवस घोषित किया गया है।

देश के लोग जानते हैं कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) एक अच्छे भारतीय राजनीतिज्ञ और असाधारण लेखक थे। उन्होंने भारत के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।

History of Good Governance Day/सुशासन दिवस का इतिहास क्या है

आज से करीब 8 साल पहले 23 दिसंबर 2014 को श्री अटल बिहारी वाजपेयी और पंडित मदन मोहन मालवीय (मरणोपरांत) को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की घोषणा की थी गई थी।

इस घोषणा के बाद, प्रधानमंत्री श्री नरेंदर मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने घोषणा की कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी जी की जयंती को भारत में प्रतिवर्ष सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

उसी दिन क्रिसमस के साथ-साथ इस तिथि को सरकार के कार्य दिवस के रूप में घोषित करने के लिए सुशासन दिवस की भी स्थापना की गई थी।

सुशासन दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है /purpose of celebrating Good Governance Day

जहाँ तक भारत सरकार की बात है सुशासन दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य देश में पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन प्रदान करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता से लोगों को अवगत कराना है।

हर वर्ष सुशासन दिवस लोगों के कल्याण और बेहतरी को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। इसके अलावा , सुशासन दिवस सरकारी कामकाज को मानकीकृत करने और इसे देश के लोगों के लिए अत्यधिक प्रभावी और जवाबदेह शासन बनाने के लिए मनाया जाता है।

इस दिवस को मनाने का अन्य उद्देश्य भारत में सुशासन के मिशन को पूरा करने के लिए अच्छी और प्रभावी नीतियों को लागू करना और सुशासन के माध्यम से देश में विकास को बढ़ाना है।

सरकार चाहती है कि सुशासन दिवस जैसे आयोजन करके सुशासन प्रक्रिया में आम आदमी को सक्रिय भागीदार बनाकर सरकार के करीब लाया जाए।

सुशासन सूचकांक क्या है

सुशासन यह मापने की प्रक्रिया है कि कैसे सार्वजनिक संस्थान सार्वजनिक मामलों का संचालन करते हैं और सार्वजनिक संसाधनों का प्रबंधन करते हैं और मानव अधिकारों की प्राप्ति की गारंटी देते हैं जो अनिवार्य रूप से दुरुपयोग और भ्रष्टाचार से मुक्त है और कानून के शासन के लिए उचित सम्मान है।

सुशासन सूचकांक क्या है : सुशासन सूचकांक, केंद्रीय कार्मिक लोक शिकायत, पेंशन मंत्रालय तथा नीति आयोग द्वारा जारी किया जाता है। यह सूचकांक राज्यों को विभिन्न क्षेत्रों जैसे मानव संसाधन विकास, आर्थिक प्रशासन, पर्यावरण और नागरिक केंद्रित-प्रशासन के आधार पर रैंक प्रदान करता है।

हर साल 25 दिसंबर को सुशासन दिवस के अवसर पर केंद्र सरकार के केंद्रीय कार्मिक लोक शिकायत, पेंशन मंत्रालय तथा नीति आयोग द्वारा सुशासन सूचकांक जारी किया जाता है। यह सूचकांक राज्यों को विभिन्न क्षेत्रों जैसे मानव संसाधन विकास, आर्थिक प्रशासन, पर्यावरण और नागरिक केंद्रित-प्रशासन के आधार पर रैंक प्रदान करता है।

सुशासन सूचकांक 2021 जारी करने का प्रमुख उद्देश्य :

  • GGI राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में शासन की स्थिति का आकलन करने हेतु एक व्यापक एवं कार्यान्वयन योग्य ढांँचा है जो राज्यों/ ज़िलों की रैंकिंग का निर्धारण में सहायता करता है।
  • GGI का उद्देश्य एक ऐसा उपकरण तैयार करना है जिसका इस्तेमाल केंद्रशासित प्रदेशों सहित केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा किये गए विभिन्न हस्तक्षेपों के प्रभाव का आकलन करने के लिये राज्यों में समान रूप से किया जा सके।
  • GGI फ्रेमवर्क के आधार पर यह सूचकांक सुधार हेतु प्रतिस्पर्द्धी भावना विकसित करते हुए राज्यों के मध्य एक तुलनात्मक आधार निर्मित करता है।
  • GGI 2021 के अनुसार, 20 राज्यों ने GGI 2019 इंडेक्स स्कोर की तुलना में अपने समग्र GGI स्कोर में सुधार किया है।.
  • GGI की परिकल्पना एक द्विवार्षिक अभ्यास के रूप में की गई है।


सुशासन सूचकांक रैंकिंग का आधार

सुशासन सूचकांक- 2021 के ढांँचे में 58 संकेतक और 10 क्षेत्र शामिल किये गए हैं:
कृषि और संबद्ध क्षेत्र
वाणिज्य और उद्योग
मानव संसाधन विकास
सार्वजनिक स्वास्थ्य
सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा और उपयोगिताएँ
आर्थिक शासन
समाज कल्याण और विकास
न्यायिक और सार्वजनिक सुरक्षा
पर्यावरण
नागरिक केंद्रित शासन
राज्यों की रैंकिंग: सूचकांक राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को चार श्रेणियों में वर्गीकृत करता है, अर्थात
अन्य राज्य- समूह ए:
गुजरात ने सुशासन सूचकांक- 2021 में 10 क्षेत्रों को कवर करते हुए समग्र रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल किया है, इसके बाद महाराष्ट्र और गोवा का स्थान है।
अन्य राज्य- समूह बी:
मध्य प्रदेश इस सूची में सबसे ऊपर है, इसके बाद राजस्थान और छत्तीसगढ़ हैं।
उत्तर-पूर्व व पहाड़ी राज्य:
हिमाचल प्रदेश इस सूची में सबसे ऊपर है, इसके बाद मिज़ोरम और उत्तराखंड हैं।
केंद्रशासित प्रदेश:
GGI 2019 संकेतकों पर 14% की वृद्धि दर्ज करते हुए दिल्ली समग्र रैंक में सबसे ऊपर है।

सुशासन दिवस किस प्रधानमंत्री की जयंती पर मनाया जाता है

गुड गवर्नेंस डे अर्थात सुशासन दिवस के अवसर पर देश की जनता पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल विहारी वाजपेयी जी को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि देती है। अच्छी बात यह है कि इस दिन वाजपेयी जी को याद कर उनके द्वारा किए गए कार्यों के बारे में चर्चा की जाती है।

अलग-अलग जगहों पर गोष्ठियां की जाती हैं। सेमिनार के जरिए लोग उनके द्वारा किए गए कामों के बारे में विस्तार से जानते हैं। आपको बता दें कि 16 अगस्त 2018 को पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया था।

भारत में सुशासन सप्ताह कब से कब तक है ?

भारत में इस बार 19 दिसंबर से 25 दिसंबर, 2022 तक “सुशासन सप्ताह” मनाया है : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि लोगों ने अगले 25 वर्षों के अमृत काल के दौरान ने एक गौरवशाली और आत्मनिर्भर भारत बनाने का संकल्प लिया है। सरकार की भूमिका लोगों के प्रयासों में सक्षमकर्ता बनकर उनके संकल्प को पूरा करने में सहायता करने की है। हमारी भूमिका अवसरों को बढ़ाने और उनके मार्ग से बाधाओं को दूर करने की है।

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; राज्य मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 19 दिसंबर से 25 दिसंबर, 2022 तक देशव्यापी सुशासन सप्ताह समारोह का 19 दिसंबर 2022 को उद्घाटन किया। इसके अंतर्गत “प्रशासन गांव की ओर” अभियान का राष्ट्रव्यापी शुभारंभ भी किया गया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सुशासन का अंतिम और असली परीक्षण यह है कि इसका लाभ भारत के सबसे दूरस्थ गांव में रहने वाले हर एक नागरिक तक पहुंचना चाहिए। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की “ग्रामीण उत्थान” परिकल्पना जमीन पर वास्तविक विकास का आकलन करने के लिए एक परिणाम-आधारित दृष्टिकोण पर बल देती है।

श्री मोदी ने एक बार कहा था, “अंत्योदय की सच्ची भावना में अंतिम कतार में खड़े व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए देश के पास पर्याप्त संसाधन हैं और सुशासन के माध्यम से वांछित परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं”।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ग्रामीण भारत के सतत विकास के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए, योजनाओं को वास्तविक रूप से निचले स्तर पर रहने वाले लोगों की जरूरतों और इच्छाओं को ध्यान में रखना चाहिए और एक पारदर्शी, प्रभावी और जवाबदेह तरीके से नवीनतम तकनीकी साधनों के माध्यम से लागू किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का बड़ा सपना गांवों को शामिल किए बिना पूरा नहीं किया जा सकता है। मंत्री महोदय ने रेखांकित किया कि ग्रामीण और उपेक्षित क्षेत्रों का विकास मोदी सरकार की मुख्य प्राथमिकताओं में से एक रहा है और शहरी और ग्रामीण भारत के बीच की खाई को पाटना है।

केंद्रीय मंत्री ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। सुशासन दिवस और सुशासन सप्ताह पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में मनाया जाता है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी जी ने नीतिगत सिद्धांत अपनाकर वाजपेयी जी के दृष्टिकोण ‘अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’ को कार्यान्वित किया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि इस वर्ष प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर एक जिले के सेवानिवृत्त उपायुक्त/जिलाधिकारी को वर्ष 2047 के लिए जिले का विजन दस्तावेज ज़िला @ 100 तैयार करने में शामिल करने के लिए एक अभिनव और दूरगामी कदम उठाया गया है। उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि राष्ट्र तभी विकसित हो सकता है जब देश के सभी जिले अपनी अंतर्निहित शक्तियों का लाभ उठाते हुए एक केंद्रित दृष्टिकोण के साथ विकास करने का लक्ष्य रखते हैं।

” प्रशासन गांव की ओर 2022″ अभियान क्या है

इस बार ” प्रशासन गांव की ओर 2022″ अभियान सुशासन सप्ताह का हिस्सा बना हुआ है : प्रधानमंत्री ने कहा, यह विशेष रूप से प्रसन्नता की बात है कि इस वर्ष भी ‘प्रशासन गांव की ओर’ अभियान सुशासन सप्ताह का हिस्सा बना हुआ है और उन्होंने इस पहल से जुड़े सभी लोगों को अपनी शुभकामनाएं दीं।

‘प्रशासन गांव की ओर’ 2022 जन शिकायतों के निवारण और सेवा वितरण में सुधार के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान है जो भारत के सभी जिलों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आयोजित किया जाएगा। 700 से अधिक जिला कलेक्टर ‘प्रशासन गांव की ओर’ 2022 में भाग ले रहे हैं।

अभियान के एक भाग के रूप में, जिला कलेक्टर “सुशासन प्रथाओं/पहलों” पर एक कार्यशाला का आयोजन करेंगे और भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक सेवानिवृत्त अधिकारी के परामर्श के साथ जिले के लिए एक विजन की रूपरेखा तैयार करने का प्रयास करेंगे, जिन्होंने जिले में उपायुक्त/जिलाधिकारी के रूप में कार्य किया है और प्रमुख शिक्षण संस्थानों के सेवानिवृत्त शिक्षाविदों और विचारकों को भी इसमें शामिल किया जाएगा।

ये अधिकारी विजन डॉक्यूमेंट डिस्ट्रिक्ट@100 के अंतर्गत जिले वर्ष 2047 के लिए जिले के लिए विजन/लक्ष्यों को परिभाषित करेंगे। यह आशा की जाती है कि सेवानिवृत्त उपायुक्त/जिलाधिकारी, शिक्षाविद्, थिंक-टैंक का प्रशासनिक अनुभव वर्तमान की ऊर्जा के साथ परियोजना को पूरा करने में लाभकारी सिद्ध होगा। विकास की यात्रा में आगे बढ़ने के लिए उपायुक्त/जिलाधिकारी जिले के लिए एक दूरदर्शी दस्तावेज को परिभाषित और तैयार करेंगे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, ”जैसा कि विषय से ही पता चलता है कि ‘प्रशासन गांव की ओर’, अभियान के दौरान प्रशासन को सीधे लोगों तक ले जाने पर बल दिया जाता है। उन्होंने कहा, मोदी सरकार ने व्यापक डिजिटलीकरण नीति द्वारा हजारों नागरिक केंद्रित सेवाओं को नागरिकों के दरवाजे तक पहुंचाने का प्रयास किया है, ताकि ग्रामीण-शहरी विभाजन के बिना देश के विकास का लाभ पूरे देश में समान रूप से प्रदान किया जा सके।

उन्होंने बताया कि जन शिकायतों के समाधान और बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए जिला कलेक्टर तहसील/पंचायत समिति स्तर पर विशेष शिविर/कार्यक्रम आयोजित करेंगे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, वन नेशन-वन पोर्टल दृष्टिकोण के अंतर्गत हमने सभी संबंधित राज्य/सूचना प्रौद्योगिकी पोर्टल्स को सीपीजीआरएएमएस से जोड़ने का एक व्यापक जनादेश लिया है। उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया है कि 18 (अठारह) राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के पास एक अलग लोक शिकायत पोर्टल नहीं है और इसके बजाय नागरिकों की शिकायतों को हल करने के लिए सीपीजीआरएएमएस इंटरफेस का लाभ उठा रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि शिकायत निवारण सुशासन का मूल है और नागरिकों की आवाज सुनी जानी चाहिए और उनकी शिकायत का निवारण किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि सीपीजीआरएएमएस ने 10 सूत्रीय सुधार को अपनाया है जिससे शिकायत निवारण समय में महत्वपूर्ण कमी और निपटान की गुणवत्ता में सुधार सुनिश्चित हुआ है।

मंत्री महोदय ने कहा कि आज सरकार में 86 प्रतिशत से अधिक शिकायतें ऑनलाइन दर्ज की जाती हैं, और एआई/एमएल प्रथाओं के उपयोग के माध्यम से बड़े डेटा को संभालना संभव हो गया है और सीपीजीआरएएमएस पोर्टल देश में अधिकारियों के अनुसार लंबित शिकायतों की पहचान करने की स्थिति में है।

उन्होंने कहा कि एक शिकायत का निवारण न केवल पीड़ित को लाभान्वित करता है बल्कि यह प्रशासन को भी पुरस्कृत करता है क्योंकि एक संतुष्ट नागरिक नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन में मदद करता है, इस प्रकार सरकार के प्रयासों को काफी हद तक सफल बनाता है।

डीएआरपीजी के सचिव, श्री वी. श्रीनिवास ने कहा कि वर्ष 2021 में, 20-25 दिसंबर, 2021 के सुशासन सप्ताह के दौरान, भारत के इतिहास में पहली बार एक केंद्रित राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया गया, जो जन शिकायतों को दूर करने और सेवा वितरण में सुधार के उद्देश्य से तहसील और ब्लॉक स्तर तक पहुंचा। उन्होंने कहा कि अभियान बेहद सफल रहा और इसने सुशासन के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन का निर्माण किया।

अभियान के दौरान, सेवा वितरण के लिए 289 लाख से अधिक आवेदनों का निस्तारण किया गया और 6.67 लाख से अधिक जन शिकायतों पर ध्यान दिया गया, जो अपने आप में एक कीर्तिमान था। एक अभियान स्तर पर राष्ट्र के शिकायत निवारण पोर्टल के एक साथ काम करने का सामूहिक प्रभाव अभूतपूर्व था।

कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 121वीं रिपोर्ट में पिछले वर्ष के प्रशासन गांव की ओर अभियान की अभूतपूर्व सफलता की सराहना की और सिफारिश की कि ऐसे अभियानों को और अधिक बार आयोजित किया जाना चाहिए।

मंत्री महोदय ने सुशासन प्रथाओं पर एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया और जिला कलेक्टरों और राज्य सरकारों द्वारा प्रगति के ऑनलाइन अपडेट करने के लिए ‘प्रशासन गांव की ओर’ 2022 (www.pgportal.gov.in/GGW22) के लिए समर्पित अभियान पोर्टल का शुभारंभ किया। इस अवसर पर “प्रशासन गांव की ओर” अभियान पर एक फिल्म प्रदर्शित की गई।

सुशासन सप्ताह के दौरान, 23 दिसंबर, 2022 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में सुशासन प्रथाओं पर एक कार्यशाला आयोजित की जाएगी, जिसमें मंत्रिमंडल सचिव मुख्य अतिथि होंगे। विशेष अभियान 2.0 और निर्णय लेने में दक्षता बढ़ाने पर सत्र आयोजित किए जाएंगे।

डाक विभाग के सचिव; रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष; भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक विशेष अभियान 2.0 के दौरान अपने विभागों द्वारा सर्वोत्तम प्रथाओं पर प्रस्तुतीकरण देंगे। राष्ट्रीयय सूचना केंद्र के महानिदेशक, एनआईसी; सचिव (पूर्व), विदेश मंत्रालय और सचिव, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ‘निर्णय लेने में बढ़ती दक्षता’ पर प्रस्तुतियां देंगे। इस कार्यशाला में विशेष अभियान 2.0 पर आंकलन रिपोर्ट जारी की जाएगी।

अरुणाचल प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, श्री धर्मेंद्र कुमार, उत्तर प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री देवेश चतुर्वेदी, डॉ. श्रीवत्स कृष्णा, प्रधान सचिव, प्रशासनिक सुधार, कर्नाटक सरकार, अमर नाथ, अतिरिक्त सचिव, डीएआरपीजी, एनबीएस राजपूत, संयुक्त सचिव, डीएआरपीजी, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनिक सुधार के मुख्य सचिव और सचिव ‘प्रशासन गांव की ओर’ 2022 के राष्ट्रव्यापी अभियान के नोडल अधिकारी, रेजिडेंट कमिश्नर और अन्य अधिकारी, सभी केंद्रीय और राज्य नोडल शिकायत अधिकारी, जिला कलेक्टर/मजिस्ट्रेट हाईब्रिड माध्यम से उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल हुए।

  • सीपीजीआरएएमएस में लंबित लोक शिकायतों का निवारण
  • राज्य पोर्टलों में जन शिकायतों का निवारण
  • ऑनलाइन सेवा प्रदायगी के लिए जोड़ी गई सेवाओं की संख्या
  • सेवा प्रदायगी आवेदनों का निपटान
  • सुशासन प्रथाओं का मिलान और उनका प्रसार
  • लोक शिकायतों के समाधान पर प्रत्येक जिले में एक सफलता गाथा साझा करना

सुशासन सप्ताह के दौरान, 23 दिसंबर, 2022 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में सुशासन प्रथाओं पर एक कार्यशाला आयोजित की जाएगी, जिसमें कैबिनेट सचिव मुख्य अतिथि होंगे। विशेष अभियान 2.0 और निर्णय लेने में दक्षता बढ़ाने पर सत्र आयोजित किए जाएंगे।

डाक विभाग के सचिव; रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष; भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक विशेष अभियान 2.0 के दौरान अपने विभागों द्वारा सर्वोत्तम प्रथाओं पर प्रस्तुतीकरण देंगे। एनआईसी के महानिदेशक; विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व), और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव, ‘निर्णय लेने में बढ़ती दक्षता’ पर प्रस्तुतियां देंगे। इस कार्यशाला में विशेष अभियान 2.0 आकलन रिपोर्ट जारी की जाएगी।

प्रधानमंत्री के विजन को साकार करने के लिए इस वर्ष के ‘प्रशासन गांव की ओर’ 2022 अभियान में एक नवोन्मेषी विशेषता जोड़ी गई है। देश के सभी जिले 23 दिसंबर, 2022 को “सुशासन प्रथाओं/पहलों” पर एक कार्यशाला का आयोजन करेंगे, जिसे ‘प्रशासन गांव की ओर पोर्टल’ पर कार्यशाला के चित्रों के साथ मिलान तथा साझा किया जाएगा।

जिला@2047 अर्थात जिला@100 के विजन के साथ जिन प्रमुख क्षेत्रों में जिले में प्रयास किए जाने की आवश्यकता है, उन्हें कार्यशाला में रेखांकित किया जाएगा। मुख्य अतिथि के रूप में जिले के एक सेवानिवृत्त डीसी/डीएम को आमंत्रित किया जाएगा और जिला स्तरीय कार्यशालाओं में भाग लेने के लिए सभी विभागों, शिक्षाविदों और प्रमुख शिक्षण संस्थानों के थिंक टैंक के जिला स्तरीय अधिकारियों को आमंत्रित किया जाएगा। ये कार्यशालाएं जमीनी स्तर पर सुशासन प्रथाओं को प्रोत्साहित करने और प्रलेखन के लिए एक मंच होंगी और जिला@100 के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट की रूपरेखा तैयार करेंगी।

वर्ष 2021 में ‘प्रशासन गांव की ओर’ अभियान के दौरान, सेवा प्रदायगी के लिए 2.89 करोड़ से अधिक आवेदनों का निपटान किया गया, 6.5 लाख से अधिक शिकायतों पर ध्यान दिया गया, 621 सेवाओं को सिटीजन चार्टर्स में जोड़ा गया, 380 सिटीजन चार्टर्स का अद्यतन किया गया, 265 सर्वोत्तम शासन पद्धतियां और 236 सफलता गाथाएं पोर्टल पर अपलोड की गईं।

‘प्रशासन गांव की ओर’ 2022 अभियान के जिला स्तर पर और भी अधिक उत्साह से आगे बढ़ाने जाने की उम्मीद है। इसका उद्देश्य भारत के सभी जिलों और तहसीलों के नागरिकों को प्रशासन के करीब लाने के लिए प्रधानमंत्री के विजन को साकार करना है। सुशासन सप्ताह के दौरान ‘प्रशासन गांव की ओर’ 2022 अभियान शासन के नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण की दिशा में पहल को आगे बढ़ाने के लिए सुशासन के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन का सृजन करेगा।

भारत सरकार के सभी मंत्रालय/विभाग, सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारें और जिले अभियान, उद्घाटन कार्यक्रम और कार्यशालाओं में हिस्सा लेंगे।

सुशासन दिवस पर हरियाणा के मुख्यमंत्री का मनोहर तोहफा

28 लाख से अधिक बीपीएल परिवारों को मिलेंगे ऑनलाइन पीले राशन कार्ड : सुशासन को आधार मान और सूचना प्रौद्योगिकी के अधिक से अधिक उपयोग से व्यवस्था परिवर्तन करने में लगे हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल अब प्रदेश के बीपीएल परिवारों को नव वर्ष पर नए पीले राशन कार्ड का तोहफा देंगे। 

ये पीले राशन  कार्ड ऑनलाइन माध्यम से 28.93 लाख से अधिक बीपीएल परिवारों को दिए जाएंगे। इस प्रकार मुख्यमंत्री ने पिछली सरकारों द्वारा बीपीएल कार्ड के नाम पर हुई राजनीति को खत्म कर इस जटिल समस्या का समाधान करने की पहल की है। मुख्यमंत्री प्रदेश के 28.93 लाख से अधिक बीपीएल परिवारों को एक क्लिक के माध्यम से पीले राशन कार्ड का तोहफा नव-वर्ष पर देने जा रहे है।

प्रदेश में पीले राशन कार्ड बनाने के नाम पर जड़ें जमा चुके भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सूचना प्रौद्योगिकी को अपनाते हुए इस कार्य को व्यवस्थित करने की पहल की और अब  प्रदेश में गरीब परिवारों को पीले राशन कार्डों का सीधा लाभ मिल पायेगा।

 सबसे पहले मुख्यमंत्री ने पिछली सरकारों के बीपीएल सर्वे को रद्द कर नए सिरे से सर्वे के आदेश दिए। उसके बाद अलग से नागरिक सूचना संसाधन विभाग का गठन किया और बीपीएल परिवार के आंकड़ों का मिलान खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग से करवाया।

इतना ही नहीं बीपीएल कार्ड के लिए न्यूनतम वार्षिक आय 1 लाख 20 हजार रुपये की सीमा को बढ़ाकर 1 लाख 80 हजार रुपये किया जिसका परिणाम यह हुआ कि बीपीएल लाभार्थियों की संख्या 11.50 लाख से बढ़कर 28.93 लाख तक पहुँच गई। बीपीएल आंकड़ों को और अधिक सत्यापित करने के लिए परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) के डाटा से भी मिलान किया गया।  

उल्लेखनीय है कि परिवार पहचान पत्र हरियाणा की एक अनूठी योजना है। परिवार पहचान पत्र में परिवार की आय सहित हर सदस्य की सटीक जानकारी उपलब्ध है, जबकि आधार कार्ड में सिर्फ एक ही व्यक्ति की जानकारी होती है।  हरियाणा की इस योजना को अब उत्तराखंड व जम्मू-कश्मीर ने अपने- अपने राज्यों में लागू करने का निर्णय लिया है।  

सुशासन दिवस पर हरियाणा के मुख्यमंत्री प्रदान करेंगे 22 पुरस्कार

मुख्यमंत्री के अधिकतम शासन और न्यूनतम सरकार के विज़न को मूर्त रूप देने हेतू डिजिटल हरियाणा पहलों के लिए इस सुशासन दिवस पर विभिन्न विभागों को 7 राज्य स्तरीय और 15 जिला स्तरीय सुशासन पुरस्कार दिये जायेंगे।

25 दिसंबर, 2022 को सुशासन दिवस पर पंचकूला में राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल द्वारा यह पुरस्कार वितरित किये जाएंगे। इन पुरस्कारों में राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजनाएं जैसे परिवार पहचान पत्र, मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना, चिरायु हरियाणा योजना, ऑटो अपील सिस्टम (आस) सहित कई प्रोजेक्ट शामिल हैं।

सुशासन अवसर पर विजेताओं को पुरस्कार उनके संबंधित विभागों में डिजिटल सुधार लाने और राज्य सरकार द्वारा लोगों को समयबद्ध व परेशानी मुक्त तरीके से नागरिक केंद्रित सेवाओं के वितरण के लिए ई-गवर्नेंस को लागू करने के लिए दिये जा रहे हैं। ये सुधार प्रगतिशील राज्यों में हरियाणा को अग्रणी बनाने में भी सहायक सिद्ध हो रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि 26 अक्टूबर, 2014 को सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने दो माह पश्चात ही 25 दिसम्बर 2014 से ही पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस पर हरियाणा में पहली बार सुशासन की अवधारणा लागू की थी। तब से लेकर प्रत्येक वर्ष सुशासन दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री एक नया संकल्प लेते है और वर्ष भर उस को धरातल पर उतारने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय व प्रशासनिक सचिव स्तर के अधिकारियों का विशेष फोक्स रहता है।

नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों को नववर्ष पर सुशासन का तोहफा

25 दिसम्बर, 2022 को जब मुख्यमंत्री पंचकूला से वर्चुअल माध्यम से सभी जिलों से जुड़ेंगे तो एक और नया संकल्प लेने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। इस दिन मुख्यमंत्री पंचायती राज संस्थानों के चुने हुए नए जन-प्रतिनिधियों से भी संवाद करेंगे और छोटी सरकारों से नववर्ष के तोहफे के रूप में सुशासन पर चलने का आह्वान भी करेंगे।

मुख्यमंत्री केन्द्र सरकार के सुशासन सप्ताह के दौरान दिए गए शीर्ष वाक्य ‘प्रशासन गांव की ओर’ को भी अमलीजामा पहनाने में लगे हैं। स्वयं मुख्यमंत्री जनसंवाद कार्यक्रम के माध्यम से विभिन्न जिलों में जाकर लोगों की समस्याओं का मौके पर निपटारा कर रहे हैं। अब तक रोहतक, सिरसा, करनाल, कुरुक्षेत्र, पंचकूला व सोनीपत जिलों में जन संवाद कार्यक्रमों का आयोजन किया जा चुका है। जन संवाद कार्यक्रम से लोगों का सरकार से जहां जुड़ाव बढ़ा है, वहीं जनता में सरकार के प्रति विश्वास भी बढ़ा है।

इसके अलावा, सुशासन दिवस के अवसर पर क्रॉप क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम, फसल अवशेष प्रबंधन, मोबाइल मेडिकल यूनिट, साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, फर्जी समाचारों पर अंकुश लगाने एवं सरकारी योजनाओं से संबंधित सूचनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए डिजिटल मीडिया सेल, एनीमिया मुक्त हरियाणा के लिए टेस्ट-ट्रीट-टॉक रणनीति, निपुण हरियाणा मिशन, ई-नीलामी, अमृत सरोवर मिशन एवं तालाबों का जीर्णोद्धार, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों का कंप्यूटरीकरण, रैनी वेल योजना आदि प्रोजेक्ट को भी सुशासन पुरस्कार प्रदान किये जाएंगे।

प्रधानमंत्री की  “एक देश- एक राशन कार्ड योजना” को हरियाणा देने जा रहा है मूर्तरूप

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के लगातार सतत प्रयासों के चलते प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की हर योजना को पिछले 8 वर्षों से हरियाणा ने देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे पहले लागू करने की पहल की है।

इन योजनाओं में स्वामित्व, पढ़ी- लिखी पंचायतें, ऑनलाइन अध्यापक स्थानांतरण पॉलिसी, परिवार पहचान पत्र आदि शामिल हैं जिन्हें देश के स्तर पर पहचान मिली है। स्वामित्व योजना को तो स्वयं प्रधानमंत्री ने अन्य राज्यों से अपनाने की अपील तक की है। 

हरियाणा में अब नया राशन कार्ड बनवाने के लिए ऑनलाईन प्रणाली शुरू की गई है। अब कोई भी व्यक्ति सरल पोर्टल पर ऑनलाईन आवेदन कर सकता है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत पात्र परिवारों को अन्त्योदय अन्न योजना परिवार तथा प्राथमिक परिवार दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

अन्त्योदय परिवारों को 35 किलोग्राम और बी0पी0एल0/ओ0पी0एच0 परिवारों को 5 किलोग्राम अनाज 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से वितरित किया जा रहा है। कोरोना काल के समय आरंभ की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अन्तर्गत अप्रैल, 2020 से मुफ्त में खाद्यान्न का वितरण किया जा रहा है। इस योजना को दिसम्बर, 2022 तक बढ़ा दिया गया है।

इसी प्रकार सरकार द्वारा अंत्योदय आहार योजना के अंतर्गत बी.पी.एल./ए.ए.वाई. परिवारों को 20 रुपये की दर से 2 लीटर सरसों का तेल जनवरी, 2018 से मई, 2021 तक वितरित किया गया तथा जून, 2021 से प्रति परिवार 250 रुपये ऐसे परिवारों के खातों में स्थानान्तरित किए जा रहे हैं। इसके अलावा फोर्टिफाइड आटे का वितरण 5 जिलों में किया जा रहा है जिसमें यमुनानगर, अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल और  पंचकूला शामिल हैं। 

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Good Governance Day 25 December

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को हुआ था जबकि निधन 16 अगस्त 2018 को हुआ। वे भारत के तीन बार प्रधानमंत्री बने थे। उनका कार्यकाल 16 मई से 1 जून 1996 तक, तथा फिर 1998 मे और तीसरा कार्यकाल 19 मार्च 1999 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर रहा।

वे हिंदी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। विशेष बात यह है कि उन्होंने लंबे समय तक राष्‍ट्रधर्म, पाञ्चजन्य (पत्र) और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया। वह चार दशकों तक भारतीय संसद के सदस्य रहे।

वे लोकसभा यानी निचले सदन में दस बार, और दो बार राज्य सभा यानी ऊपरी सदन में चुने गए थे। उन्होंने लखनऊ के लिए संसद सदस्य के रूप में वर्ष 2009 तक कार्य किया। अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में जीवन प्रारंभ करने वाले वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमंत्री पद के 5 वर्ष बिना किसी समस्या के पूरे किए।

आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेने के कारण उनको भीष्म पितामह भी कहा जाता है। आपको बता दें कि उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मंत्री थे। उन्होंने वर्ष 2005 में राजनीति से संन्यास ले लिया था और नई दिल्ली में 6-ए कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते थे । उनका निधन 16 अगस्त 2018 को हुआ था।

श्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनके जन्मदिन/ जयंती पर श्रद्धांजलि कैसे दें ?

हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने श्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनके जन्मदिन/सुशासन दिवस पर श्रद्धांजलि दीं हैं। आप भी ऐसे ही श्रद्धांजलि दे सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आदरणीय अटल जी को उनकी जयंती पर कोटि -कोटि नमन।’

श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन ही महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी का भी जन्म दिन है। मदन मोहन मालवीय जी का शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान देने के साथ आजादी के आंदोलन में भी अहम भूमिका रही है।

सुशासन दिवस कैसे मनाते हैं

सुशासन दिवस पर लोगों को सरकार में जवाबदेही के प्रति लोगों जागरूक किया जाता है और पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन से रूबरू करवाकर शपथ भी दिलाई जाती है।

सुशासन दिवस की शपथ क्या है ?

सुशासन दिवस की शपथ इस प्रकार है : – ” मैं सत्यनिष्ठा से शपथ लेता /लेती हूँ कि मैं प्रदेश में सुशासन के उच्चत्तम मापदंडों को स्थापित करने के लिए सदैव संकल्पित रहूंगा /रहूंगी और शासन को अधिक पारदर्शी , सहभागी , जनकल्याण केंद्रित तथा जवाबदेह बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करता /करती रहूंगा /रहूंगी। प्रदेश के नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लक्ष्य को पाने के लिए सदैव तत्पर रहूंगा /रहूंगी “

सुशासन दिवस इन हिंदी क्या है /गुड गवर्नेंस डे क्या है

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर 25 दिसंबर को प्रतिवर्ष सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है।

25 दिसंबर 2022 को पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कौन-सी जयंती है ?

पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को हुआ था , इसलिए 25 दिसंबर 2022 को पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की 98 वीं जयंती है।

‘सुशासन सूचकांक’ क्या है , यह कब लॉन्‍च किया गया ?

सुशासन सूचकांक को सुशासन के विभिन्‍न मानदंडों पर वैज्ञानिक ढंग से तैयार किया गया है। इसे नागरिकों को केन्‍द्र में रखते हुए तैयार किया गया है, जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व वाली सरकार का मुख्‍य मंत्र है।

सुशासन सूचकांक मौजूदा समय में गवर्नेंस की स्थिति का आकलन करेगा और इसके साथ ही भविष्‍य के लिए भी आरम्भिक संदर्भ सीमा प्रदान करेगा। सुशासन सूचकांक का प्रलेखन दरअसल प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के सुशासन संबंधी विजन को आगे ले जाने की दिशा में हमारा अहम प्रयास है।

आपको बता दें कि 25 दिसंबर 2019 को सुशासन दिवस पर नई दिल्‍ली में कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान राज्‍य मंत्री (पीपी) डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने ‘सुशासन सूचकांक’ लॉन्‍च किया था।

सरकार की सुशासन पहलों के लिए पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी से प्रेरणा ली गई है। सुशासन पहलों की पुनरावृत्ति न केवल भारत के राज्‍यों, बल्कि अन्‍य देशों में भी की जा रही है।

Good Governance Day in hindi kya hai ?

भारत में 25 दिसंबर को ‘सुशासन दिवस’ (Good Governance Day) के रूप में स्मरण किया जाता है| इसकी स्थापना सन 2014 में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु की गई थी .

सुशासन दिवस का अर्थ क्या है ?

सुशासन ही किसी देश के विकास की प्रथम सीढ़ी होती है जिसके माध्यम से देश के विभिन अंगो का संचालन विवेकपूर्ण एवं सुशासित तरीके से होता है। भारत सरकार द्वारा भी देश में सुशासन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष दिसंबर माह में Sushasan Diwas मनाया जाता है।

हम भारत में सुशासन दिवस क्यों मनाते हैं ?

सुशासन दिवस भारत में प्रतिवर्ष पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती के रूप में 25 दिसंबर के दिन मनाया जाता है। सरकार में जवाबदेही के भारतीय लोगों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देकर प्रधान मंत्री वाजपेयी को सम्मानित करने के लिए 2014 में सुशासन दिवस की स्थापना की गई थी।

भारत में सुशासन की शुरुआत कब हुई ?

सरकार में उत्तरदायित्व के बारे में भारतीय लोगों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देकर प्रधान मंत्री वाजपेयी को सम्मानित करने के लिए 2014 में सुशासन दिवस की स्थापना की गई थी। इसी सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने सुशासन दिवस को सरकार के लिए कार्य दिवस घोषित किया है।

अटल बिहारी वाजपेयी जयंती कब मनाया जाता है ?

अटल बिहारी वाजपेयी जयंती 25 दिसंबर को मनाया जाता है . उत्तर प्रदेश में आगरा जनपद के प्राचीन स्थान बटेश्वर के मूल निवासी पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में अध्यापक थे। वहीं शिन्दे की छावनी में 25 दिसंबर 1924 को ब्रह्ममुहूर्त में उनकी सहधर्मिणी कृष्णा वाजपेयी से अटल जी का जन्म हुआ था।

What are the characteristics of good governance ?

Good governance has eight characteristics: participation, responsiveness, equity, accountability, efficacy and effectiveness, the constitutional rule of law, transparency and orientation of agreement.

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